आयुर्वेद के नाम पर होने वाले चमत्कारिक दावों का सच सामने आना जरूरी

Dr. DK Singh

कोरोना महामारी से पूरी दुनिया त्रस्त है और दुनिया भर में इसकी दवा बनाने का प्रयास सभी बड़ी और प्रतिष्ठित दवा कंपनियां कर रही हैं। दुनिया के तमाम देशों से वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल की खबरें भी आ रही रही हैं। पूरे विश्व में कोई भी कंपनी अभी तक पुख्ता तरीके से विश्वव्यापी महामारी कोरोना की दवा खोजने का दावा नहीं कर पाई है। कुछ पुरानी एंटीवायरल और अन्य दवाएं आवश्यकता के आधार पर इस वायरस से ग्रस्त मरीजों की गंभीरता को देखते हुए अलग-अलग तरीके से दी जा रही हैं। इसी बीच चर्चित योग गुरु बाबा रामदेव ने यह दावा किया कि उनके संस्थान पतंजलि ने कोरोना की आयुर्वेदिक दवा कोरोनिल भारत में तमाम वैधानिक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए बना ली है। चर्चित योग गुरू का दावा रहा कि उनकी दवाओं का क्लीनिकल ट्रायल दिल्ली अहमदाबाद और मेरठ में हुआ है। क्लीनिकल ट्रायल के संदर्भ में उनका दावा रहा कि 69 प्रतिशत मरीज 3 दिन में ठीक हो गए और 7 दिनों में रिकवरी रेट्स 100 प्रतिशत रहा है। हालांकि इस पर काफी होहल्ला मचा और उनके दावे को खारिज भी कर दिया गया लेकिन यहां मौलिक सवाल यह है की यह दवा केवल इम्युनिटी बूस्टर है या कोरोनावायरस का प्रामाणिक इलाज? हालांकि अब बाबा रामदेव ने साफ कर दिया है कि उनकी कोरोनिल दवा सिर्फ इम्युनिटी बूस्टर है।

पतंजलि की ओर से यह भी दावा किया गया था नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च एंड साइंसेज (निम्स) जयपुर ने इससे संबंधित रिसर्च किया है तथा रिसर्च के सभी मानकों का पालन किया गया है। योग गुरू के दावे के बाद आम जन के एक बड़े वर्ग को ऐसा लगा था कि आयुर्वेद की महत्ता को कोरोना महामारी के मामले में भी बाबा पूरी प्रमाणिकता से स्थापित कर देंगे। बाबा रामदेव अपनी हर दवा के बारे में यही कहते रहे कि मैंने इसे पूरी प्रमाणिकता से सिद्ध किया है और ऐसा गुणधर्म और फायदा पाया गया है। परंतु चर्चित योग गुरू दावा करते समय शायद यह भूल गए कि वह एक विश्वव्यापी महामारी की दवा बनाने का दावा कर रहे हैं, जिससे पूरी दुनिया वर्तमान में संघर्ष कर रही है, यह उनके प्रतिदिन के अन्य बीमारियों के आयुर्वेदिक इलाज के प्रामाणिकता वाले दावों से भिन्न और गंभीर मामला है, परंतु बाबा और उनके सहयोगियों ने अन्य बीमारियों के इलाज की तरह ही पूरी प्रमाणिकता वाले अपने पुराने दावे के साथ विश्वव्यापी महामारी कोरोना के इलाज़ का किट, उससे संबंधित एप और दवा की बिक्री कहां से और कैसे की जाएगी, इसका विवरण जारी कर दिया।

योग गुरू और उनके सहयोगियों के दावों से आश्चर्य तो सभी को हुआ, परंतु उनकी साख, छवि और वर्तमान क्षमता को देखते हुए भारत के अधिकांश लोगों ने उन पर विश्वास भी किया है। इस दवा को बनाने का श्रेय पतंजलि के सीईओ आचार्य बालकृष्ण ने निम्स विश्वविध्यालय जयपुर के चांसलर और फाउंडर डॉ बीएस तोमर को दिया था। तमाम नेशनल एजेंसियों से दवा के अनुमोदन का दावा भी किया गया था। हालांकि भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने बाबा रामदेव के कई दावों को नकार दिया है तथा संबंधित पक्षकारों को दवा में किए गए दावों के संबंध में नोटिस भी दिया।

आयुष मंत्रालय का नोटिस पाने के बाद जयपुर स्थित जिस निम्स में शोध और क्लिनिकल ट्रायल का दावा पतंजलि ने किया था, उसके चेयरमैन डॉ बीएस तोमर ने आयुष मंत्रालय की नोटिस के बाद यह कहा कि हमने कोरोना की किसी दवा का ट्रायल ही नहीं किया है। डॉ. बीएस तोमर ने यह भी कहा कि उन्होंने इम्युनिटी बूस्टर के तौर पर अश्वगंधा, गिलोय और तुलसी की परीक्षा बिना लक्षण वाले मरीजों पर किया है। इसका अर्थ यह हुआ कि दवा का परीक्षण उन मरीजों पर किया गया है, जिनमें कोरोना वायरस के लक्षण नहीं थे।

उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि मैं नहीं जानता की योग गुरू रामदेव ने इससे कोरोना के इलाज का दावा कैसे कर दिया है। ध्यान देने की बात यह है कि जब बाबा रामदेव कोरोनिल की लांचिंग कर रहे थे, उसमें डॉ बी एस तोमर स्वयं मौजूद थे। जाहिर है कि डॉ तोमर दवा की लांचिंग के समय के किए जा रहे दावों से अब पलट गए हैं। अचानक डॉ. बीएस तोमर का सरकार का नोटिस पाने के बाद यह कहना कि उनके अस्पताल में किसी दवा का ट्रायल नहीं हुआ है, भारत के आमजन के मन में एक गंभीर संशय उत्पन्न करता है, जिसका निराकरण इस महामारी के दौर में अति आवश्यक हो गया है।

केंद्रीय आयुष मंत्रालय का कहना है कि उसने पतंजलि को कोरोनिल को बिक्री की अनुमति नहीं दी है, क्योंकि उसने चिकित्सकीय परीक्षण नहीं किए हैं। पतंजलि के विज्ञापन के खिलाफ कई राज्यों में भी शिकायतें की गई हैं, क्योंकि मंत्रालय या भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद की ओर से कोई अनुमति नहीं दी गई है। अब भारत सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह आम जनता को इस महामारी के समय यह जांच करके शीघ्रता के साथ बताए कि बाबा रामदेव की कोरोनिल दवा, कोरोना महामारी के वर्तमान दौर में किस प्रकार उपयोगी है, कितनी उपयोगी है तथा वह किस तरह के मरीजों में उपयोगी है? वह क्या केवल इम्युनिटी बूस्टर है? या कोरोना वायरस का प्रामाणिक इलाज है? इन सारे प्रश्नों का जवाब भारत का ही आम जन मानस नहीं बल्कि भारत के बाहर के लोग भी जानना चाहते हैं।

हालांकि आयुष मंत्रालय के कड़े रुख के बाद अब बाबा रामदेव बैकफुट पर दिखने लगे हैं। उन्होंने साफ कर दिया है कि उनकी कोरोनिल दवा सिर्फ इम्यूनिटी बूस्टर है लेकिन इस पूरे प्रकरण में बहुत सारे सवाल सामने आए हैं। आयुष मंत्रालय की ओर से आयुर्वेदिक दवाइयों के नाम पर आजकल गंभीर बीमारियों के इलाज के जो मैजिकल दावे अखबार, सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक चैनलों पर किए जाते हैं, उस पर भी फिर से विचार किया जाना चाहिए। आयुर्वेदिक दवाओं के संबंध में किए जाने वाले दावों की जांच के लिए मानक और सख्त दिशा-निर्देश आयुष मंत्रालय की तरफ से बनाया जाना चाहिए। आयुर्वेद की क्षमता और प्रमाणिकता संदेह के परे है, परंतु उसके नाम पर चमत्कारिक और बढ़ा चढ़ाकर किए जाने वाले दावों की जांच तो ठीक से होनी ही चाहिए और उसका सच सबके सामने आना जरूरी भी है।

(लेखक बरेली कॉलेज के विधि विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं)

Previous articleयूपी बोर्ड ने जारी किया रिजल्ट
Next articleचीन की वस्तुओं का बहिष्कार जरूरी
https://educationoverall.com एजुकेशन ओवरऑल डॉट कॉम शिक्षा जगत के सभी क्रियाकलाप, गतिविधियों और सूचनाओं के समाचारों का प्रमुख समाचार पोर्टल है। इस पर देश भर के सभी प्रकार के शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश, रिजल्ट, आयोजन और उपलब्धियों के साथ विद्यार्थियों, शिक्षकों और अभिभावकों के लिए उपयोगी सूचनाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। प्री-नर्सरी से लेकर डिग्री कॉलेज और तकनीकी, मेडिकल, विधि व अन्य व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने वाले शैक्षिक संस्थानों और प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थाओं की सूचनाएं भी दी जाती हैं। उनमें संचालित सभी प्रकार के कोर्स, सिलेबस, फैकल्टी की अपडेट सूचनाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। युवाओं को रोजगार के अवसर और कॅरियर मार्गदर्शन की जाानकारी दी जाती है। यह पोर्टल पूरी तरह से शिक्षा जगत को समर्पित है और इसमें शिक्षा जगत की संपूर्णता देने का प्रयास किया गया है। इस हेतु सुझावों और खबरों का स्वागत है। अपने संस्थान की खबरें मेल पर उपलब्ध कराएं- educationoverall@gmail.com

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here