आज हमारा देश जिस संकट की घड़ी से गुजर रहा है । वह वाकई हम सभी के लिए विचारणीय समय है कि आखिर हम इस खराब समय में अपने देश के लिए क्या कर सकते हैं। अभी हमारा देश कोरोना जैसी आपदा से उबर भी नहीं पाया था कि पिछले कई दशकों से चला आ रहा सीमा विवाद एक बार फिर चीन के साथ चरम पर आ गया है। ऐसा नहीं है कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि चीन ने हमारे देश की सीमा पर घुसपैठ की है। चीन तो हमेशा मौके की तलाश में रहता है और इसके लिए वह किसी भी हद तक जा सकता है। इसके लिए उसने वन बेल्ट वन रोड योजना शुरू की। इसमें एशिया के छोटे-छोटे देश जुड़ते चले गए और धीरे-धीरे उसके फैलाएं कर्ज के जाल में फंसते चले गए।
चीन की यह कूटनीति है कि वह अपने देश के सस्ते श्रम के बल पर अपने देश का सस्ता सामान (जिसकी कोई गारंटी नहीं होती) उन देशों में खपाता है जो देश या तो आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं या उनके पास संसाधनों की कमी होती है। भारत और चीन के रिश्ते आजादी के बाद से ज्यादा खराब हुए हैं क्योंकि चीन का विस्तारवादी व्यवहार कहीं ना कहीं पूरे एशिया के लिए खतरा बन चुका है। भारत के चारों ओर छोटे-छोटे देश किसी न किसी वजह से चीन के चंगुल में फंस चुके है। भारत सरकार ने चीन की चालों को नाकाम करने के लिए काफी कदम उठाए हैं। उन्हीं में एक है चीनी कंपनियों द्वारा चलाई जा रही 59 एप्स जिनका प्रयोग कहीं न कहीं हमारे देश के लोग हद से ज्यादा कर रहे हैं। हम अपने देश को आर्थिक रूप से बचाना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने देश में बने उत्पादों को अपनाना होगा, क्योंकि हमारा देश चीन को जितना निर्यात करता है उसका 4 गुना आयात करता है।
इसके कारण हमारी विदेशी मुद्रा भुगतान में ही खर्च हो जाती है। किसी भी देश की मजबूती का आधार सैन्य बल के बाद आर्थिक बल होता है। इसके आधार पर किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को चौपट किया जा सकता है। आज के परमाणु युग में कोई देश किसी अन्य देश से सैन्य बल के आधार पर टकराना नहीं चाहता है। यही कारण है कि भारत चीन या अपने अन्य पड़ोसी देशों से आर्थिक रूप से निपटना चाहता है। सरकार चाहे कितने ही कदम उठा ले लेकिन सरकार द्वारा लिए गए फैसलों को जनता द्वारा ही सार्थक करना होगा। उसके लिए हमें जहां तक हो सके विदेशी सामान का प्रयोग बंद करना होगा। जहां तक संभव हो अपने देश में बने सामान का प्रयोग बढ़ाना होगा। सरकार को कहीं ना कहीं चीनी एप्स का विकल्प लोगों को देना होगा, क्योंकि केवल प्रतिबंध लगाने से हमारा उद्देश्य पूर्ण नहीं होगा । यह समय हमें अपनी जिम्मेदारी समझने के साथ-साथ अपनी जिम्मेदारी निभाने का भी है।
युवाओं को अपना कीमती समय अपनी पढ़ाई पर लगाना चाहिए जो उनके भविष्य के लिए सही होगा वरना हमारे युवा क्या, बच्चे क्या, बल्कि बूढ़े भी अपना कीमती समय चीनी एप्स पर बर्बाद कर रहे है। हमारे देश में प्रतिभा की कमी नहीं है परंतु हमारी प्रतिभाएं अपना कीमती समय बेकार की चीजों में लगा रही हैं जिसको हमें रोकना ही होगा और देश को विकास के पथ पर अग्रसर करना होगा।
(लेखक उत्तर प्रदेश विधान परिषद में बरेली-मुरादाबाद शिक्षक निर्वाचन खंड क्षेत्र से सदस्य पद के लिए चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे हैं।)