बरेली। सोशल मीडिया के जमाने में पल-पल खबरें बन रही है और दुनिया के फलक पर पर फैल रही हैं, मगर उसमें बहुत सी खबरें फेक होती हैं। आम पाठक या उपयोगकर्ता उसको जाने बगैर आगे बढ़ा देता है जिसका हमें कहीं न कहीं नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है। कई बार तो बड़े मीडिया संस्थान भी खबर की सत्यता या तथ्यों की पुष्टि किए बगैर प्रकाशित कर देते हैं। कोविड-19 के मामले में इन खबरों ने खूब सुर्खियां बटोरीं। गूगल लिमिटेड इंडिया ट्रेनिंग नेटवर्क और उपजा प्रेस क्लब बरेली के साझा प्रयासों से एक वेबीनार का आयोजन किया गया।
webinar के मुख्य वक्ता भारत सरकार के विज्ञान प्रसार दिल्ली के वैज्ञानिक निमिष कपूर रहे। अपने वक्तव्य में श्री कपूर ने बरेली के पत्रकारों को संबोधित किया। उन्होंने कई ऐसे ऑनलाइन टूल्स बताएं जिनकी मदद से वायरल खबर की सत्यता को जाना जा सकता है, श्री निमिष ने तकनीकी जानकारी साझा करते हुए बताया कि हमें किसी भी फोटो को ऑनलाइन पब्लिश करने से पहले चारों तरफ से क्रॉप कर लेना चाहिए, नहीं तो हमारी गोपनीयता भंग होने के अवसर बने रहते हैं। फ़ोटो के चारों ओर मेटाडाटा उपलब्ध रहता है। हैकर फोटो लेने वाले की लोकेशन तक ट्रेस कर सकता है। वेबिनार के दो सत्र चले। आखिरी सत्र में प्रतिभागियों ने अपनी शंकाओं का समाधान किया और तकनीकी सवाल पूछे वेबिनार के संयोजक डॉ राजेश शर्मा रहे।
उपजा प्रेस क्लब बरेली के अध्यक्ष डॉ पवन सक्सेना ने कहा कि मीडिया स्टडी में एक कहावत प्रचलित है कि एक सही और सच्ची खबर जब तक जूते पहनती है, फेक न्यूज़ आधी दुनिया घूम आती है। इसलिए हम सभी को फेक न्यूज़ के खतरे को गंभीरता से समझना होगा।
वरिष्ठ पत्रकार व संयोजक डा राजेश शर्मा ने अपना सहयोग इस वेबिनार को देते हुए बरेली पत्रकारों के लिए इसे एक तकनीकी तौर पर जरूरी कदम बताया। इस सम्मेलन में बरेली के पत्रकारों के साथ साथ सोशल मीडिया में एक्टिव रहने वाले समाज के और लोगों ने भी भाग लिया। आकाशवाणी की मीनू खरे की उपस्थिति भी रही।
इस अवसर पर पत्रकार अनूप मिश्रा, भीम मनोहर, अजय मिश्रा, राजीव शर्मा, वीरेंद्र अटल, अशोक शर्मा, विजय सिंह, धर्मेन्द्र सिंह बंटी, विकास सक्सेना, फहीम करार, अजय कश्यप, बृजेश तिवारी, समाजसेवी रितु राज बास समेत बड़ी संख्या में मीडिया कर्मियों ने भाग लिया।