बरेली। उत्तर प्रदेश विधान परिषद के लिए बरेली-मुरादाबाद शिक्षक निर्वाचन खंड क्षेत्र से सदस्य यानी एमएलसी (शिक्षक विधायक) के चुनाव में निर्दलीय लड़ रहे आशुतोष शर्मा ऐसे प्रत्याशी हैं, जिन्होंने इस चुनाव के लिए राजकीय इंटर कालेज में शिक्षक की नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृति ले ली। बरेली के रहने वाले आशुतोष शर्मा राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ से जुड़े हैं। वह राजकीय शिक्षक संघ के मंडलीय संयुक्त मंत्री रहे हैं। आशुतोष शर्मा किन मुद्दों पर चुनाव मैदान में हैं, उनसे जानने की कोशिश की इस साक्षात्कार में-

-राजकीय माध्यमिक विद्यालय में शिक्षक की नौकरी छोड़कर आपने चुनाव लड़ने का विचार क्यों किया?
-राजनीति बहुत सारे लोग शौक के लिए करना चाहते हैं। रुतबे के लिए करना चाहते हैं लेकिन वे जिस वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं, उसको बाद में नजरअंदाज कर देते हैं और उस वर्ग की दिक्कतों तथा समस्याओं को वायदा करके भी भुला देते हैं। चूंकि मैं 22 वर्ष तक शिक्षक रहा, इसलिए पूरे शिक्षक वर्ग की दिक्कतों को बेहद नजदीकी से जानता हूं। सच यह है कि कई लोग शिक्षक विधायक रहे लेकिन उन्होंने शिक्षकों की वास्तविक समस्याओं को हमेशा नजरअंदाज कर रखा।
राजकीय शिक्षक होने के नाते कभी शिक्षकों के उत्पीड़न पर बोल नहीं सका। सरकारी सेवा नियमावली आपके हाथ बांध देती है। अधिकारी और कर्मचारी वर्ग आपका कितना भी उत्पीड़न करता रहे, आप अगर कुछ बोलते हैं तो आप पर अनुशासनात्मक कार्रवाई कर दी जाती है। मैंने कई शिक्षक साथियों का ऐसा उत्पीड़न होते देखा है। राजकीय शिक्षक हों या वित्तविहीन माध्यमिक के अथवा सेल्फ फाइनेंस डिग्री कालेज के शिक्षक हों, सबका शोषण होता है। सीबीएसई और आईसीएसई स्कूल का मैनेजमेंट अभिभावकों से खूब फीस वसूलने के बाद भी अपने शिक्षकों शिक्षकों का शोषण खुलेआम करता है। अनुदानित माध्यमिक और डिग्री कालेजों के शिक्षकों की अपनी दिक्कतें हैं लेकिन वे आवाज नहीं उठा सकते इसलिए मन में पहले से ही था, शिक्षक विधायक बनकर अपने साथियों के हक और संघर्ष के लिए आवाज उठाऊंगा इसलिए 1998 से एलटी ग्रेड में राजकीय शिक्षक रहने के बाद फरवरी 2020 को वीआरएस ले लिया और चुनाव मैदान में हूं। अब बारी शिक्षक साथियों की है कि वे मुझे अपना प्रतिनिधित्व करने का मौका देते हैं या नहीं। मैं तो उनके बीच जाकर अपनी बात रख रहा हूं और उनसे आशा करता हूं कि मुझे अपने बीच के साथी को एक मौका तो देकर देखें। कुछ न कर पाऊं तो दुबारा चुनाव न लड़ाना।

-तो आप मानते हैं कि अब तक बरेली-मुरादाबाद से शिक्षक विधायक रहने वालों ने कुछ नहीं किया?
-सब कुछ शिक्षक साथियों के सामने हैं। मैं पूछना चाहता हूं कि आप शिक्षक विधायक थे तो क्यों वित्तविहीन शिक्षकों को पर्याप्त वेतन नहीं मिला। सीबीएसई और आईसीएसई स्कूलों के शिक्षकों के शोषण के खिलाफ आपने कब आवाज उठाई। जब शिक्षक साथियों के सामने समस्याएं ही समस्याएं हैं तो बताइए ऐसे शिक्षक प्रतिनिधि होने का क्या फायदा? क्या आप सिर्फ अपनी निधि का पैसा कालेजों के मैनेजमेंट को बांटने के लिए ही शिक्षक विधायक बनते हैं? क्या आपको उनसे शिक्षकों से कोई सरोकार नहीं रहता, जिन्होंने आपको अपना प्रतिनिधि चुना है। सही बात यह है कि आज वित्तविहीन शिक्षकों, सीबीएसई और आईसीएसई, इंजीनियरिंग, मैंनेजमेंट और सेल्फ फाइनेंस कालेजों के शिक्षकों की सेवा नियमावली ही नहीं बनी है। अनुदानित कालेजों के एडहाक शिक्षकों का विनियमितीकरण का मसला अटका हुआ है। राष्ट्रनिर्माता कहे जाने वाले शिक्षक कितनी पीड़ाओं से गुजरते हैं, वही जानते हैं।
एक बात और कहना चाहता हूं कि चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशियों में वास्तविक शिक्षक कितने हैं? मैनेजमेंट के लोग भला शिक्षक विधायक बनकर कैसे शिक्षकों का भला कर सकते हैं? शिक्षक साथियों को इस पर गंभीरता से मंथन करने की जरूरत है। उनसे भी कोई उम्मीद नहीं की जानी चाहिए जो पूर्व में प्रतिनिधि रहे हैं। उन्होंने क्या काम किए हैं शिक्षकों के हितों में? सिर्फ स्कूलों को निधि का पैसा बांटने वाला शिक्षकों का भला नहीं कर सकते।

-आप जीते तो शिक्षकों के लिए क्या काम कराएंगे?
-शिक्षक साथियों के हितों के लिए सदन में ही नहीं, सड़क पर भी पुरजोर आवाज उठाऊंगा। वित्तविहीन माध्यमिक और सेल्फ फाइनेंस डिग्री कालेजों के शिक्षकों की सेवानियमावली बनवाऊंगा। उनको समान काम-समान वेतन पर जोर रहेगा। मैनेजमेंट जब चाहें, उन्हें हटा दे, इसके खिलाफ आवाज उठाऊंगा। सरकार को नीति बनानी चाहिए। सीबीएसई और आईसीएसई, इंजीनियरिंग, मैंनेजमेंट आदि निजी कालेजों के शिक्षकों की सेवा नियमावली बनवाने को हर स्तर पर संघर्ष करूंगा। पुरानी पेंशन बहाली बड़ा मामला है। इसे लागू कराने के मजबूती के साथ सामूहिक संघर्ष होगा। राजकीय कालेजों के शिक्षकों को समय से प्रमोशन और खाली पड़े राजपत्रित पदों पर प्रमोशन का मामला उठाऊंगा। विद्यालयों में समय पर नियुक्ति के लिए आवाज उठाऊंगा।

-आप अपनी जीत का दावा कैसे कर सकते हैं?
-रिटायर्ड होकर चुनाव लड़ने वालों के मुकाबले मैं युवा प्रत्याशी हूं। मैं पूर्व में रहे शिक्षक विधायकों से पूछना चाहता हूं कि उन्होंने क्या किया जो अभी तक शिक्षकों की समस्याएं दूर नहीं हो सकीं। वित्तविहीन शिक्षकों पर किसी ने ध्यान कभी नहीं दिया।

आशुतोष शर्मा केडीईएम इंटर काॅलेज बरेली में प्रवक्ता धर्मपत्नी श्रीमती मोना शर्मा के साथ।

अपने बारे में बताइए?
-मेरी उम्र 51 वर्ष है। एमए समाजशास्त्र के बाद बीएड किया। राजकीय माध्यमिक विद्यालय में 1998 में एलटी ग्रेड में शिक्षक बना। बरेली जीआईसी में काफी समय रहा। राजकीय सेवा से पहले 1992 से 1998 तक बरेली के एमबी इंटर कालेज में और उससे पहले बरेली के जयनारायण सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज में भी पढ़ाया। 22 साल शिक्षक रहा। पत्नी श्रीमती मोना शर्मा बरेली के केडीईएम इंटर कालेज में प्रवक्ता हैं। शिक्षक परिवार से हूं। पिता श्री सोहन लाल शर्मा बरेली इंटर कालेज में 35 वर्ष शिक्षक रहे। भाई भी शिक्षक हैं। मैं विद्या भारती का छात्र रहा हूं। इस नाते राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ से काफी समय से जुड़ा हूं। नाॅन गवर्नमेंट टीचर्स आर्गनाइजेशन का प्रदेश संरक्षक भी हूं। राजकीय शिक्षक संघ से भी जुड़ा रहा।

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