स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोरोना संक्रमण से बचाव के उपायों के साथ चरणबद्ध् तरह से देश के शैक्षणिक संस्थानों को खोलने का सुझाव दिया।
कोविड-19 टास्क फोर्स से सदस्य के रूप में जुड़े स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि कोरोना संक्रमण से बचाव के सुरक्षा उपायों के साथ स्कूल खोले जा सकते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना काल के चलते स्कूल-कॉलेज बंद होने से बच्चों की न सिर्फ पढ़ाई प्रभावित हो रही है बल्कि उनके मन पर भी इसका विपरीत असर हो रहा है। उनमें मानसिक तनाव भी बढ़ रहा है। खास तौर पर कम आय वर्ग वाले परिवारों के बच्चों पर ज्यादा खराब असर पड़ रहा है क्योंकि ऑनलाइन क्लास के जरिए पढ़ने के लिए उनके पास स्मार्टफोन और लैपटॉप जैसे साधन उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में, कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चरणबद्ध तरीके से स्कूलों को खोलने की अपील की है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि अब तक यह प्रमाण मिल चुके हैं कि कोरोना वायरस का बच्चों पर बड़ों जितना प्रभाव नहीं होता। विशेषज्ञों का कहना है कि बड़े महानगरों में कोरोना सैंपल की अधिक जांच कराने से स्थिति पर कुछ खास प्रभाव नहीं पड़ेगा, कोशिश यह होनी चाहिए कि कोविड-19 से किसी की मौत न होने पाए।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, स्वास्थ्य विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि कोरोना वायरस पर रोकथाम के लिए हाल-फिलहाल में वैक्सीन आनी संभवन नहीं है। ऐसे में, कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने प्रधानमंत्री से स्कूल और कॉलेजों को खोलने का सुझाव देते हुए कहा है कि अब समय आ गया है कि हम सभी लोग सामान्य कामकाज की ओर बढ़ें और पूर्व की गतिविधियों में आना सुनिश्चत करें। हालांकि इन विशेषज्ञों का कहना है कि उन क्षेत्रों में सावधानी बरती जानी आवश्यक है, जिनमें ज्यादा लोग संक्रमित हैं।
प्रधानमंत्री को पत्र लिखने वाले स्वास्थ्य विशेषज्ञों में नेशनल सेंटर फॉर डीजीज कंट्रोल के डॉ. सुजीत कुमार सिंह , नेशनल वेक्टर बॉर्न डीजीज कंट्रोल प्रोग्राम के पूर्व निदेशक डॉ. एसी धालीवाल, बीएचयू के पूर्व प्रोफेसर डॉ. डीसीएस रेड्डी और आईपीएचए के अध्यक्ष व एम्स के प्रोफेसर डॉ. संजय के. राय प्रमुख हैं।