प्रोफेसर (डॉ.) बीएम अरोरा ने वाइल्ड लाइफ एवं वेटनरी साइंस के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया है। इनके कार्य और प्रयास उल्लेखनीय किए जाने के साथ-साथ सदा स्मरणीय और प्रेरक हैं।

एसोसिएशन ऑफ इंडियन जू एंड वाइल्ड लाइफ वेटेरिनेरियंस के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ.) बीएम अरोरा, निवासी बीडीए कॉलोनी, प्रेमनगर, बरेली, उत्तर प्रदेश की ख्याति देश के प्रमुख वन्य जीव विशेषज्ञ के रूप में होती है। वह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से वन्य जीव स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य करने वाले देश के प्रथम वैज्ञानिक हैं।

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज़्ज़तनगर, बरेली, उत्तर प्रदेश में प्रधान वैज्ञानिक और राष्ट्रीय वन्य एवं प्राणी उद्यान, दिल्ली में निदेशक रहते प्रोफेसर (डॉ.) बीएम अरोरा ने वर्ष 1979 से 2002 तक वाइल्ड लाइफ के क्षेत्र में वन्य जीवों के स्वास्थ्य एवं प्रबंधन पर कई असाधारण कार्य किए हैं।

प्रोफेसर (डॉ.) बीएम अरोरा के प्रयास और प्रस्ताव पर भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर, बरेली में सेंट्रल फ़ॉर वाइल्ड लाइफ कंपर्वेशन मैनेजमेंट एन्ड डिजीज सर्विलांस सेंटर स्थापित किया गया। देश का यह पहला सेंटर है, जिसके माध्यम से बाघ, हाथी और अन्य संकटग्रस्त वन्य जीवों के स्वास्थ्य की जांच की देश में संभव हो सकी।

प्रोफेसर (डॉ.) बीएम अरोरा ने पर्यावरण एवं वन्य मंत्रालय भारत सरकार के वित्तीय सहयोग से देश के विभिन्न राज्यों के पशु चिकित्सा संस्थानों में वन्य जीवों की चिकित्सा एवं फोरेंसिक के केंद्र खुलवाए। पशु चिकित्सा विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए इन्होंने देश भर के तमाम विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों में अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय कार्यशालाएं एवं प्रशिक्षण के आयोजन किए।

प्रोफेसर (डॉ.) बीएम अरोरा के अथक प्रयासों से वन्य जीव स्वास्थ्य के क्षेत्र में परास्नातक शिक्षा, परास्नातक वाइल्ड लाइफ हेल्थ एवं रिसर्च एंड ट्रेनिंग प्रोग्राम देश के कई विश्वविद्यालय एवं संस्थानों में भी शुरू किए गए।

डॉ. अरोरा के 130 रिसर्च पेपर देश-विदेश के जर्नल में प्रकशित हुए हैं। वन्य जीवों पर किए गए रिसर्च आधारित 10 पुस्तकें भी अब तक यह प्रकाशित करा चुके हैं, जो कि अभूतपूर्व कार्य है।

हाथियों का रिसर्च आधारित डेटाबेस भी डॉ. अरोरा ने तैयार किया और उसे वृहद पुस्तक के रूप में प्रकाशित कराया है। इनके द्वारा वन्य जीवों की शरीरिक विकर्तियों पर सचित्र एटलस तैयार करके उसका प्रकाशन भी कराया गया है।

यूके के जाने-माने एक प्रकाशन संस्थान की ओर से वन्य जीव स्वास्थ्य एवं वन्य जीवों की शारीरिक बनावट पर इनकी ओर से पुस्तकें लिखी जा रही हैं। इन्होंने वाइल्ड लाइफ पर हिंदी की पहली पुस्तक लिखी है। इसमें भारत के संकटग्रस्त एवं विरल प्राणियों का डेटा है।
वाइल्ड लाइफ एवं वेटनरी साइंस के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए ही जबलपुर विश्वविद्यालय ने उनको लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड प्रदान किया। इलाहाबाद की एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी ने अपने डिपार्टमेंट ऑफ वाइल्ड लाइफ में उनको प्रोफेसर ऑफ ऐमेराइटर्स नियुक्त किया। प्रोफेसर (डॉ.) बीएम अरोरा ने वाइल्ड लाइफ एवं वेटनरी सांइस के क्षेत्र में देश के लिए अपना अद्वितीय योगदान दिया है।

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