-शरदकांत शर्मा

हमारी सनातन परंपरा में शांति पाठ किया जाता है-
ॐ द्यौ शान्तिरन्तरिक्षं शान्ति: पृथिवी शान्तिरापः शान्तिरौषधयः शान्तिः वनस्पतयः शान्ति विश्वेदेवाः शान्तिः सामः शान्तिः रेभि: शान्ति: सर्वम्… शान्तिः देवाः शान्ति सामः शान्तिरेभि:
शान्तिः! शान्तिः !! शुभ शान्तिः!!!

यह शान्तिः पाठ विश्व के निःश्रेयस् की साधना है, जिसका भाव और आशय है कि परम पिता की रचना इस धराधाम पर मनुष्य समेत प्राणि मात्र का आस्तित्व इस बात पर निर्भर है कि जब तक क्षिति-जल -पावक-गगन और समीर, ये पंचभूत सुस्थिर- शान्त और संतुलित हैं, इनका क्षुब्ध होना खतरे की घंटी है। हमारी बरबादी की आहत भर नहीं मुकम्मल शुरुआत है। यह चेतावनी है कि जागो! सुधरो! वरना सुधरने लायक नहीं रहोगे।

चूंकि स्काउट सदैव सतर्क जागरूक और युगीन सरोकारों के प्रति प्रतिबद्ध, सबका मित्र और पर्यावरण प्रेमी होता है इसलिए कोई दसेक दिन पहले अल सुबह एक अखबार में छपी खबर कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार- ‘न्यायमूर्ति श्री लोकुर की अध्यक्षता में एक समिति इस वर्ष पराली जलाने से किसान को रोकने के लिए किए गए उपायों की निगरानी करेगी, उसमें स्काऊट और गाइड, एनसीसी और एनएसएस की मदद ली जायेगी।

मैंने बतौर स्काउट कमिश्नर तत्काल बरेली के स्काउट और गाइड को खासतौर से ग्रामीण अंचल के माध्यमिक विद्यालयों के स्काउट और गाइड को उनके स्काउट-गाइड और शिक्षक- शिक्षिकाओं के माध्यम से जन जागरूकता अभियान चलाने का संदेश देकर कार्य प्रारंभ कर दिया था और जिला संगठन कमिश्नर, ट्रेनिंग कमिश्नर
व तहसील के कमिश्नरों के माध्यम से पोस्टर- स्लोगन राइटिंग- भित्ति चित्र, भाषण प्रतियोगिता आयोजित करने के लिए कार्ययोजना तैयार कर ली। उत्तर प्रदेश शासन के कृषि मंत्रालय के मुख्य सचिव ने इस विषय में एक वीडियो कांफ्रेंस एनआइसी बरेली में की। इसमें संयुक्त शिक्षा निदेशक, जिला विद्यालय निरीक्षक, एनसीसी अधिकारी, एनएसएस प्रभारी व स्काऊट और गाइड के प्रतिनिधि के रूप में मैने प्रतिभाग किया।

बैठक में कृषि सचिव ने पराली जलाने से किसान को रोकने के लिए तत्काल जन जागरूकता अभियान माध्यमिक विद्यालय के विद्यार्थियों के द्वारा पूरी सावधानी के साथ चलाने का आग्रह किया और कहा करना तुरंत है क्योंकि या तो धान की फसल कट गई या कट रही है। 30 नवंबर तक ही कार्यक्रम की उपयोगिता है।
मैं अपने स्काऊट और गाइड की जो भूमिका देखता हूं, वह यह है कि हमें किसानों को समझाना है कि धरती के साथ उनका मां- बेटे का रिश्ता है। खेत में आग जलाकर पराली को जलाने से मां को तकलीफ पहुंचती है, नमी खत्म होती है, धरती की उपजाऊ शक्ति कम होती है। उसमें मौजूद पोषक तत्व जल कर नष्ट हो जाते हैं। क्या यह काम किसी बेटे का है, जो मां को तकलीफ पहुंचाये? अरे! धरती मां तो शस्य श्यामला है, हमको पाल पोस रही है।

हमें किसानों को जागरूक करना है कि पराली जलाने से वातावरण दमघोटू और विषैला हो जाता है। एक अध्ययन के अनुसार हर साल लगभग दो लाख करोड़ का नुकसान पराली जलाने से और 50 हजार करोड़ का नुकसान पटाखे जलाने से होता है।

ग्रीन पीस ई स्ट ऐशिया के हालिया रिपोर्ट के अनुसार देश में वायु प्रदूषण से हर साल दस लाख लोग मर जाते हैं और अधिकतर मृत्यु इस समय होती है, जब सर्दी की शुरुआत में वायु कण, दमघोटू धुएं में मिलकर कर प्राणघातक स्मोग का रूप ले लेता है। पछुआ हवा के साथ राजस्थान पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश से बढ़ता जानलेवा धुंआ धीरे-धीरे उत्तर प्रदेश और बिहार में प्रवेश करता है।

मैं साल भर पहले ग्रामीण अंचल के विद्यालय में तैनात था। हर साल विजय दशमी और दीपावली के बीच में जब कार्यक्रम करता तो पटाखा मुक्त दीपावली और पराली न जलाने का अभियान चलाता था। उस समय छात्र छात्राओं के किसान माता पिता कहते थे- जलायें न तो करें क्या? पराली का होगा क्या? हमें तो गेहूं की बुआई शुरू करनी है, उस समय पराली के वैकल्पिक प्रयोग सीमित थे, आज बहुतेरे हैं, उनका वैकल्पिक प्रयोगों का प्रचार और प्रसार जरूरी है। ये काम हमारे स्काऊट और गाइड करेंगे, जिसमें पहला है- पराली को काट कर हरे चारे में मिलाकर पशु धन के आहार के रूप में करना है, दूसरा है पराली सहित खेत को जोत कर नीचे की मिट्टी के ऊपर पराली दबा दो। अब डि-कम्पोजर मौजूद है। पराली पर छिड़को और खाद बनाओ, जैविक खाद और वह भी बहुत गुणकारी आर्गेनिक खेती में
मददगार।

2015 में आईआईटी खडक पुर से वायो डिग्रेडेबल कप- ग्लास, टेबिल बेयर बनाने का प्रयोग अंकुर अग्रवाल उनके साथियों ने स्टार्ट अप के जरिये किया था। इसके अलावा सीमेन्ट उद्योग में, इथेनाल, वायो डीजल में भी पराली इस्तेमाल हो रहा है, मगर किसान तक उसकी पहुंच नहीं है, अगर किसान के खेत से पराली फसल के तत्काल बाद हटाने की व्यवस्था हो और बदले में पैसा मिले तो किसान पराली जलायेगा ही नहीं, क्योंकि उस को आर्थिक लाभ होगा।

कृषि सचिव ने यह भी बताया कि अन्तरिक्ष में छह सैटेलाइट लगे हैं। ये छः आंखें लगातार पराली जलाने की सतर्क निगहबानी करती हैं। आग लगने की घटनायें एक पिन प्वाइन्टेड अक्षांश-देशान्तर के बताती हैं, प्रशासन वहां पहुंचता है, कानूनी कार्यवाही करता है, मगर तब तक ऐसा नुकसान हो चुकता है, जिसकी भरपाई नहीं हो सकती, इसलिये हमारे युवा जन जागरूकता अभियान चलाकर अपने ही परिवार के किसानों को, जिनसे उनका खास रिश्ता है, यह दिल का रिश्ता बड़ा मजबूत है और किसान और धरती का बेटा मां का रिश्ता- माता भूमिः,पुत्रोऽहं
पृथिव्याः को याद भर दिलाना है। हमें विश्वास है। हम अपने स्काऊट और गाइड के माध्यम से पराली जलाने से किसानों को रोक पायेंगे।


(लेखक विष्णु इंटर कॉलेज, बरेली में प्रधानाचार्य हैं।)

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