बचपन और किशोर अवस्था में जिस स्कूल से पढ़कर उन्होंने ज्ञान हासिल किया और उस ज्ञान की बदौलत वह किसी मुकाम पर पहुंच पाए, वक्त के थपेड़ों ने उस स्कूल को बदहाल कर दिया तो उसकी हालत इनसे देखी नहीं गई। धीरे-धीरे कई सारे भूतपूर्व छात्र इकट्ठे हो रहे हैं और ‘विकोबियन’ बनकर तन-मन-धन से जुटे हैं- बरेली शहर में स्थित विष्णु इंटर कॉलेज की तस्वीर बदलने के लिए। ‘विकोबियन’ ने अपने विद्या अध्ययन का स्थान रहे बरेली के इस पुराने शैक्षणिक संस्थान की सूरत बदलने की मुहिम तेज कर दी है। जानिए एक विद्यालय को संवारने में जुटे भूतपूर्व छात्रों के प्रयास की कहानी-
यूपी के बरेली शहर में आजादी के बाद के दो-तीन दशक में जो चुनिंदा प्रमुख कॉलेज स्थापित हुए, उनमें विष्णु इंटर कॉलेज भी था। सन 1960 में स्थापित इस विद्यालय में पढ़ना बड़ी बात मानी जाती थी और यहां पढ़े न जाने कितने ही लोग आज उद्यमी, अधिकारी, चिकित्सक, सीए, वकील आदि हैं और अपने अपने कार्य क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। बरेली शहर के माधोबाड़ी में स्थापित होने की वजह से आसपास प्रेमनगर, मारवाड़ीगंज, आलमगीरीगंज, मॉडल टाउन क्षेत्र में रहने वाले तब के प्रतिष्ठित परिवारों के अधिकांश बच्चे यहीं पढ़े और 1960 से लेकर 2000 तक यानी 40 साल तक तो इस विद्यालय ने शिक्षा अध्ययन में अपनी खास पहचान, ख्याति और साख अर्जित की थी। सन 1960,70 और 80 के दशक में इस यूपी बोर्ड के इस माध्यमिक विद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थी चिकित्सक, सीए, एडवोकेट आदि बनने के लिए अध्ययन किया करते थे। वजह थी, यहां के टीचर नौकरी भर के लिए नहीं पढ़ाया करते थे, बल्कि अपने नाम को स्थापित करने के लिए छात्रों को ज्ञानवान बनाते थे। तब के शिक्षकों में बच्चों को पढ़ाकर किसी लायक बनाने का जुनून हुआ करता था और बच्चों में भी पढ़कर कुछ कर गुजरने का जज्बा। नतीजतन, लगभग हर छात्र जब इस विद्यालय से 12 वीं पास करके निकलता था तो वह अपना लक्ष्य हासिल कर लिया करता था।
यही वजह थी कि विष्णु इंटर कॉलेज अपना नाम स्थापित कर पाया और उस दौर में यहां पढ़ने के लिए लगभग हर छात्र लालायित रहा करता था। प्रवेश मिल पाना बड़ी बात हुआ करती थी, लेकिन शिक्षा के बढ़ते साधनों और वक्त के थपेड़ों की मार से अपने वक्त में बड़ी साख वाला यह विद्यालय भी न बच सका। जिस विद्यालय ने चार दशक तक अपनी कीर्ति पताका फहराए रखी, वह साल 2000 के बाद से बदहाल होने लगा। बदहाल इस मायने में कि, यहां की बल्डिंग पुरानी और जर्जर होने लगीं। वर्षों तक मरम्मत के अभाव में कई क्लास रूम भी बैठाने लायक नहीं रह गए। इसके लिए सिर्फ वक्त ही जिम्मेदार नहीं रहा, बल्कि सरकारी नीतियां भी कम जिम्मेदार नहीं हैं।

मरम्मत के लिए सरकार से नहीं कोई अनुदान
असल में, विष्णु इंटर कॉलेज यूपी सरकार से अनुदानित माध्यमिक विद्यालय है, जो विद्यालय अनुदान की योजना में आते हैं, सरकार की अनुदान योजना के नियमों के तहत, उन विद्यालयों में प्रधानाचार्य, शिक्षकों और अन्य स्टॉफ की तैनाती प्रदेश सरकार करती है और उनका वेतन भी वही देती है लेकिन सरकार की ओर से ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिससे अनुदानित विद्यालयों के भवन की मरम्मत कराई जाए। वैसे, अनुदानित विद्यालयों में मैनेजमेंट कमेटी होती है, लेकिन, चूंकि इन विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों से मामूली फीस ली जाती है इसलिए मैनेजमेंट कमेटी के पास बजट का कोई बंदोबस्त नहीं होता। नतीजतन, श्री विष्णु इंटर कॉलेज का भवन जर्जर होता गया। इनमें बैठाकर बच्चों को पढ़ाना मुश्किल हो चला था।
इस विद्यालय की बदहाली की चिंता सरकार ने भले ही नहीं की लेकिन यहां के भूतपूर्व छात्रों ने की। कुछ छात्रों ने पहल करके अपने सहपाठियों और अन्य भूतपूर्व छात्रों को जोड़ा, जो आज किसी न किसी मुकाम पर हैं और इस विद्यालय को संवारने में आर्थिक सहयोग देने में सक्षम हैं। इन लोगों ने विकोबा यानी विष्णु इंटर कॉलेज ओल्ड ब्यॉज एसोसिएशन बनाई और खुद को विद्यालय के लिए विकोबियन नाम दिया और विद्यालय को संवारने की मुहिम शुरू कर दी। यह मुहिम पिछले कुछ साल में रंग लाई है। इन सबके प्रयास औरा आ र्थिक सहयोग से विद्यालय संवरने लगा है। यह मुहिम जारी है।
शरद कांत शर्मा: शिक्षा ऋण चुकाने को प्रिंसिपल बन उसी विद्यालय में 40 साल लौटे, जहां पढ़े थे

‘विकोबियन’ को एकजुट करने की पहल विष्णु इंटर कॉलेज के मौजूदा प्रधानाचार्य शरदकांत शर्मा ने की। दरअसल, वह भी इसी विद्यालय के छात्र रहे हैं। यह इत्तफाक नहीं, एक संकल्प है, जिसकी वजह से शरद कांत शर्मा यहां प्रधानाचार्य बनकर आए। अब अपने विद्यालय को पुरानी प्रतिष्ठा दिलाने में जीजान से जुटे हुए हैं और इसके लिए उन्होंने यहां पढ़े पुराने विद्यार्थियों को जोड़ा है और उनके आगे विद्यालय के हित के लिए झोली फैलाई है।
प्रधानाचार्य शरदकांत शर्मा ने 11 जुलाई 2019 को इस विद्यालय का दायित्व संभाला। सही बात तो यह है कि इस विद्यालय में प्रिंसिपल बनना उनका अपनी लक्ष्यपूर्ति के लिए जरिया महज था, वरना केंद्रीय विद्यालय में शिक्षक की नौकरी छोड़कर राज्य सरकार की नौकरी में शायद ही कोई आना चाहेगा, लेकिन विष्णु इंटर कॉलेज में शिक्षा ऋण चुकाने का संकल्प उनको यहां ले आया।
वह इस विद्यालय में पढ़े। 1972 से 1980 तक उन्होंने यहां कक्षा 6 से 12 तक की पढ़ाई की। यहां विद्या अध्ययन की यादें और अपने विद्यालय से लगाव वह भूल नहीं पाए। बेहद भावुक होकर शरदकांत शर्मा बताते हैं कि केंद्रीय विद्यालयों में नौकरी के दौरान जब भी बरेली आता, अपने विष्णु इंटर कॉलेज की दुर्दशा देखकर मन द्रवित हो जाता। जिस विद्यालय में बचपन में पढ़ा। यहां से तमाम सुखद यादें जुड़ी हैं, उसकी दुर्दशा मन को कचोटती, इसलिए ठान लिया कि विद्यालय का शिक्षा ऋण जरूर चुकाऊंगा।
ऐसे आए प्रिंसिपल बनकर
शिक्षा पूरी करने के बाद शरदकांत शर्मा 12 अक्टूबर 1987 को केंद्रीय विद्यालय संगठन द्वारा चयनित होकर पीजीटी यानी प्रवक्ता बन गए थे। उनकी पहली पोस्टिंग मणिपुर के लेखाखाम स्थित केंद्रीय विद्यालय में हुई। दूसरी पोस्टिंग 11 नवंबर 1972 को केवी अल्मोड़ा में हुई। तीसरी पोस्टिंग 1994 में केवी बरेली जेआरसी नंबर वन में ओर चौथी पोस्टिंग 1998 में जवाहर नवोदय विद्यालय सिलवासा, दादर नागर हवेली में हुई। बाद में 2002 में केवी धारचूला पिथौरागढ़ में, 2007 में केवी लोकरा असम में और वर्ष 2011 में केवी दिल्ली कैंट नंबर 3 में कार्यरत रहे। यहां उन्होंने विष्णु इंटर कॉलेज में प्रिंसिपल बनने के इरादे से उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में आवेदन किया और 12 मार्च 2012 को प्रधानाचार्य पद के लिए चयनित हो गए।
चूंकि विष्णु इंटर कॉलेज में उस वक्त प्रधानाचार्य पद खाली नहीं था, इसलिए इंतजार किया और तब तक बरेली के रिठौरा स्थित दरबारी लाल शर्मा इंटर कॉलेज में पोस्टिंग ले ली। विष्णु इंटर कॉलेज में आने के लिए उन्होंने दरबारी लाल शर्मा इंटर कॉलेज में सात साल तक इंतजार किया। जैसे ही विष्णु इंटर कॉलेज में प्रिंसिपल का पद रिक्त हुआ, यहां अपना स्थानांतरण कराकर उन्होंने 11 जुलाई 2019 को ज्वाइन कर लिया। वह 31 मार्च 2025 को रिटायर्ड होंगे और चाहते हैं कि तब तक विष्णु इंटर कॉलेज का जीर्णोद्धार करा दें।
आते ही जुट गए विकोबियन को जोड़ने में

प्रधानाचार्य की जिम्मेदारी संभालने के बाद शरदकांत शर्मा के सामने सबसे बड़ी चुनौती विद्यालय को संवारने के लिए आर्थिक संसाधन जुटाने की थी। यह काम आसान नहीं था। चूंकि उन्होंने ज्वाइनिंग जब ली तो कोरोना संक्रमण गहराया हुआ था, इसके बावजूद भी उन्होंने अपना संकल्प पूरा करने की शुरुआत कर ली। आर्थिक संसाधन जुटाने के विद्यालय के भूतपूर्व छात्रों से संपर्क किया। अपने सहपाठी रहे उन लोगों को जुटाया, जो आज प्रतिष्ठित और संपन्न हैं।
भूतपूर्व छात्रों में बड़े उद्यमी बीएल एग्रो लिमिटेड के मालिक घनश्याम खंडेलवाल, दिलीप खंडेलवाल, व्यापारी राजेश जसोरिया, सीए कपिल वैश्य, चिकित्सक डॉ. राजेश अग्रवाल, आनंद, रजत मूना, पंकज किशोर आदि से संपर्क साधा और री-यूनियन कराई। सभी से कॉलेज हित में आगे आने की अपील की। नतीजा यह हुआ कि भूतपूर्व छात्रों ने दिल खोलकर अपने कॉलेज के हित को मदद की। घनश्याम खंडेलवाल ने बिल्डिंग की मरम्मत की धनराशि दी। बाकी ने भी खुले दिल से आर्थिक सहयोग किया तो 10-12 लाख रुपये जुटाकर कई क्लास रूम सही कराए। परिसर में स्टेज बनवाया। छत की मरम्मत कराई।
शरदकांत शर्मा बताते हैं कि काफी बुनियादी काम करा पाए हैं। इससे अब बच्चों को क्लास रूम में बैठने में दिक्कत नहीं होती। अभी बहुत काम कराए जाने बाकी हैं। भूतपूर्व छात्रों ने भरपूर सहयोग का आश्वासन दिया है। बाकी भूतपूर्व छात्रों को भी जोड़ रहे हैं, ताकि उनकी भी मदद मिल सके और यह कॉलेज संवर जाए।
रंग ला रहा प्रयास, सहयोग में जुटे सारे ‘विकोबियन’, बन रही मुहिम
विष्णु इंटर कॉलेज की एल्युमुनाई का नाम- विकोबा यानी विष्णु इंटर कॉलेज ओल्ड ब्यॉज एसोसिएशन है और सारे भूतपूर्व छात्र विकोबियन कहलाते हैं। प्रधानाचार्य शरदकांत शर्मा ने सारे विकोबियन को जोड़ और समय-समय पर ऑनलाइन मीट करके उनसे विद्यालय हित में सहयोग का आह्वान किया। मीट्स में विकोबियन को विद्यालय की आवश्यकताएं बताईं तो उद्यमी घनश्याम खंडेलवाल, दिलीप खंडेलवाल, डॉ. केशव कुमार अग्रवाल, सीए कपिल वैश्य, एडवोकेट सुशांत सक्सेना, राजेश जसोरिया, संतोष खरे, आर्किटेक्ट अनुपम कपूर, आनंद, पूर्व एयरफोर्स अधिकारी अनूप अग्रवाल, संदीप देसाई, गोविंद मोदी, विनय अग्रवाल, संजीव खंडेलवाल, प्रमोद कुमार अग्रवाल, राजीव सिंघल, गुलशन कुमार, कुंवर बहादुर सिंह, रजत मूना, राजेश जसोरिया, अनिल अरोड़ा, पवन अग्रवाल, परेश जौहरी आदि सहयोग कर रहे हैं।
प्रधानाचार्य बताते हैं कि विकोबियन के सहयोग से कई क्लास रूम और स्टाफरूम की टैंपरिंग का कार्य किया गया है। छतों की मरम्मत और प्लास्टर तथा रंगाई-रोगन का काम किया गया। दूसरे चरण में प्रशासनिक भवन और प्रयोगशालाओं का जीर्णोद्धार किया जाना है। इसके लिए भी विकोबियन की मदद मांगी गई है। विद्यालय के जीर्णोद्धार को मुहिम बनाकर कार्य किया जा रहा है। वर्तमान में विद्यालय में 593 छात्र अध्यनरत हैं। प्रधानाचार्य बताते हैं कि अधिकांश छात्र गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं। इन सको विद्यालय में बेहतर माहौल देने की जिम्मेदारी हम सबकी है।
न कोई अपेक्षा, न पुरस्कार की इच्छा, बस ‘शिक्षा ऋण’ चुकाने का है संकल्प

प्रधानाचार्य शरदकांत शर्मा कहते हैं कि शिक्षा का ऋण चुकाने का संकल्प लेकर इस विद्यालय में आया हूं, क्योंकि यहां पढ़कर में इस काबिल बना तो इसके प्रति मेरा भी फर्ज है और यह फर्ज है- शिक्षा ऋण के रूप में, जो विद्यालय का पुनरोद्धार करके चुकाना है। इससे मुझे आत्मसंतुष्टि होगी। वह कहते हैं कि मैं भी चाहता तो रिटायरमेंट तक यहां टाइम पास करके चला जाता लेकिन फिर मैं यहां आता ही क्यों? दूसरी जगह भी तो अच्छी-खासी नौकरी कर रहा था। आया इसलिए हूं कि मेरा मानना है, जिस तरह व्यक्ति पर पितृ ऋण और कुल ऋण होता है, उसी तरह गुरु ऋण भी होता है, यानी शिक्षा ऋण। पितृ ऋण की तरह उसको भी चुकाना चाहिए। जिस गुरु ने हमें पढ़ाया और जहां हम पढ़े, उसके प्रति भी दायित्व निभाना चाहिए, वहीं करने इस विद्यालय में आया हूं, क्योंकि मैंने जो कुछ पाया, इसी विद्यालय में शिक्षा प्राप्त करके पाया। इसके लिए कुछ करने की प्रेरणा हरि बाबा से मिली, जिन्होंने बदायूं जिले की बबराना तहसील के गवां में डैम पर 21 मील का पुल बनवाया था। प्रधानाचार्य कहते हैं कि विद्यालय के लिए कुछ करने के बदले न मुझे कोई अपेक्षा है, न कोई पुरस्कार की चाह। बस, विद्यालय को संवारने का जज्बा और जुनून है और यह काम विकोबियन ही करेंगे, ऐसा मुझे विश्वास है।
विष्णु इंटर कॉलेज, बरेली का इतिहास


माध्यमिक शिक्षा में प्रदेश भर में अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाला बरेली का विष्णु इंटर कालेज अपनी स्थापना से ही उच्च गुणात्मकपरक शिक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहा। सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट-1860 के अंतर्गत 14 सितंबर 1932 को रजिस्टर्ड श्री विष्णु विद्यालय सोसायटी, माधोबाड़ी, बरेली की ओर से बरेली शहर के कालीबाड़ी मोहल्ले के एक छोटे से भवन में यह विद्यालय सबसे पहले विष्णु विद्यालय जूनियर हाईस्कूल के नाम से प्रारंभ किया गया था, जो निरंतर उत्तरोत्तर प्रगति करता रहा और वर्ष 1958 में हाईस्कूल-मानविकी की मान्यता मिलने के बाद हायर सेकेन्ड्री विद्यालय बन गया था।
वर्ष 1960 में यह विद्यालय वर्तमान नई बस्ती, माधोबाड़ी, बरेली स्थित भवन से संचालित किया जाने लगा, क्योंकि छात्रों की बढ़ती संख्या के कारण और विद्यालय की तब बढ़ती लोकप्रियता के कारण कालीबाड़ी का छोटा भवन अपर्याप्त पड़ रहा था और वष्र 1960 में ही सूर्य प्रकाश गुप्त प्रधानाचार्य के रूप में जुड़े और विद्यालय को प्रबन्धक के रूप में संभाला था- गिरबर सिंह जी ने। जबकि कालीबाड़ी में विष्णु बाल सदन के रूप में जूनियर हाईस्कूल अभी भी संचालित है।
वर्ष 1962 में विद्यालय को हाईस्कूल विज्ञान की। वर्ष 1962 में विद्यालय को इन्टरमीडिएट मानविकी की मान्यता प्राप्त हुई, जिसके साथ विद्यालय का नाम हो गया- विष्णु इंटर कॉलेज, बरेली। उसके बाद तो विद्यालय निरन्तर प्रगति के नित नवीन सोपानों पर चढ़ता गया। वर्ष 1966 में इंटरमीडिएट विज्ञान वर्ग की विद्यालय को मान्यता मिली। जबकि वर्ष 1971 में हाईस्कूल- वाणिज्य की विद्यालय को मान्यता मिली। वर्ष 1988 में विद्यालय उत्तर प्रदेश का यह पहला विद्यालय था, जहां इंटरमीडिएट व्यावसायिक वर्ग की कक्षाएं प्रारंभ हुईं।
अपने वक्त में यह विद्यालय बरेली जिले में ही नहीं, पूरे प्रदेश की माध्यमिक शिक्षा में अपना अप्रतिम स्थान रखता है। छात्रों को उच्च गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने के साथ ही उनके सर्वांगीण विकास के लिए सतत प्रयत्नशील रहकर समाज और राष्ट्र की आवश्यकता के अनुरूप छात्रों को ढालने के लिए विद्यालय सतत प्रयत्नशील रहा। शैक्षिक मूल्यों की स्थापना विद्यालय का संकल्प रहा है और नवाचार और शैक्षिक अनुसन्धान विद्यालय की परंपरा। विद्यालय के संस्थापक प्रधानाचार्य स्वर्गीय सूर्य प्रकाश गुप्त के सुयोग्य और गत्यात्मक नेतृत्व में, उनके साथ विद्यालय के श्रद्धेय विद्या-वारिधि-गुरुजनों के अथक प्रयासों का सुफल है कि तब से अब तक विद्यालय समाज को चिकित्सा, अभियान्त्रिकी, विधि, वाणिज्य, व्यवसाय व प्रशासन आदि में ऐसे विलक्षण प्रतिभाशाली रत्न सौंप चुका है, जो अपनी चमक से अपने-अपने क्षेत्र में समाज का नेतृत्व कर रहे हैं।
-रिपोर्ट राजीव शर्मा, बरेली
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